कार्यक्रम कार्यान्वयन स्कंध

कार्यक्रम कार्यान्वयन स्कंध के चार प्रभाग हैं अर्थात् बीस सूत्री कार्यक्रम, आधारी संरचना प्रबोधन प्रभाग, परियोजना प्रबोधन प्रभाग तथा संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना प्रभाग ।

आधारी संरचना प्रबोधन प्रभाग

आधारी संरचना प्रबोधन प्रभाग (आईएमडी) आधारी संरचना के क्षेत्रों के निष्पादन को मॉनीटर करता है तथा उनके त्वरित विकास में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है । वर्तमान योजना में, आधारी संरचना प्रबोधन प्रभाग संबंधित मंत्रालयों/विभागों से उत्पादन और उत्पादकता के संगत आंकड़ों का संग्रहण करता आ रहा है तथा मासिक प्रगति रिपोर्टों के रूप में उसका संकलन एवं विश्लेषण कर रहा है । इस प्रभाग को देश के ग्यारह प्रमुख आधारी संरचना क्षेत्रों, अर्थात विद्युत, कोयला, इस्पात, रेलवे, दूरसंचार, पत्तन, उर्वरक, सीमेंट, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, सड़क एवं नागर विमानन के निष्पादन की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।

बीस सूत्री कार्यक्रम प्रभाग

बीस सूत्री कार्यक्रम (टीपीपी) प्रभाग बीस सूत्री कार्यक्रम (1986) के कार्यान्वयन को मॉनीटर करता है । बीस सूत्री कार्यक्रम (टीपीपी-86) कार्यक्रमों का एक समूह है जिसमें गरीबी उपशमन, रोजगार सृजन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि से संबंधित योजनाएं शामिल हैं, जो 1975 से चल रहा है ।

परियोजना निगरानी प्रभाग

परियोजना प्रबोधन प्रभाग (पीएमडी) 150 करोड़ रु. और उससे अधिक लागत वाली सरकार की सभी केन्द्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं को मॉनीटर करता है तथा त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के प्रभाव की समीक्षा करता है । प्रभाग को निजी/संयुक्त क्षेत्र में प्रमुख आधारी संरचना संबंधी परियोजनाओं की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है । प्रभाग तैयारी की स्थिति के दृष्टिकोण से परियोजनाओं का मूल्यांकन करता है, परियोजनाओं की समय एवं लागत अधिकता के कारणों की जॉंच करता है और उनके कार्यान्वयन में आ रही बाधाओं की पहचान करता है तथा इस प्रकार समन्वय और सहायक के रूप में मुख्य भूमिका का निर्वाह करता है । समापन रिपोर्टों का मूल्यांकन तथा प्रणालियों का अध्ययन भी इसके दायरे में आता है । कभी-कभी, उत्तरदायित्व निर्धारित करने के लिए विशिष्ट परियोजनाओं में समय एवं लागत की अधिकता के कारणों की जाँच हेतु इस प्रभाग की सहायता ली जाती है । अपने अध्ययन और मूल्यांकन रिपोर्टों के माध्यम से, प्रभाग ने परियोजनाओं की तैयारी, मूल्य निर्धारण, कार्यान्वयन, मॉनीटरिंग और मूल्यांकन की समग्र प्रणाली में मौजूद शक्तियों और कमजोरियों की पहचान करने में योगदान दिया है । संसाधनों की सीमितता के अतिरिक्त, प्रभाग ने जिन अन्य गम्भीर कमजोरियों की पहचान की है वे हैं: अपूर्ण व्यवहार्यता अध्ययन, भूमि-अधिग्रहण में विलम्ब, प्रौद्योगिकी की प्राप्ति में विलम्ब, अभियांत्रिकी डिज़ाइन एवं ड्राइंग की तैयारी में विलम्ब आदि । यह पाया गया है कि अनेक परियोजनाओं के कार्यान्वयन की गति श्रेष्ठतर प्रबंधन से सुधारी जा सकती थी, जैसा कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कुछ परियोजनाओं के मामले में देखा गया है जो परिपक्वता अवधि में ही कार्यान्वित कर ली गईं । अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त अनुभवों को देखते हुए, यह प्रभाग ऐसे विभिन्न उपचारात्मक उपायों का सुझाव देता आ रहा है जो प्रशासनिक मंत्रालयों और परियोजना प्राधिकारियों द्वारा अपनाए जाने अपेक्षित हैं। मंत्रालय ने परियोजना प्रबंधन के महत्व का समय-समय पर विश्लेषण किया है । प्रभाग का एक महत्वपूर्ण योगदान परियोजना प्रबंधन की प्रणाली में सुधार लाना रहा है ।

संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना प्रभाग के सदस्य

संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) डिवीजन के सदस्य एमपीएलएडी योजना के तहत विभिन्न काम करता है और कार्यकलापों के कार्यान्वयन पर नज़र रखता है । इस योजना ने पूरे देश में विभिन्न क्षेत्रों के विकास पर बहुत अच्छा प्रभाव डाला है । विभिन्न किस्मों के कार्य बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिए आ गए है। इन निर्माणों से मिलकर पुस्तकालयों, स्कूल भवनों, सड़कों , छोटे पुलों, सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों में कंप्यूटर की स्थापना की गई है।